सर्वदर्शनसंग्रह
सर्वदर्शनसंग्रह, माधवाचार्य विद्यारण्य द्वारा रचित दर्शन ग्रन्थ है। इसमें विद्यारण्य के समय तक के सभी प्रमुख सम्प्रदायों के दर्शनों का संग्रह और विवेचन है। इसमें विद्यारण्य ने सोलह दर्शनों का क्रमशः विकसित होते हुए रूप में खाका खींचा है
- १. चार्वाक दर्शन
- २. बौद्ध दर्शन
- ३. अर्हत या जैन दर्शन
- ४ रामानुजदर्शनम्
- ५. पूर्णप्रज्ञ दर्शनम्
- ६. नकुलीशपाशुपत दर्शन
- ७. शैव दर्शन
- ८. प्रत्याभिज्ञा दर्शन
- ९. रसेश्वर दर्शन
- १०. वैशेषिक या औलूक्य दर्शन
- ११. अक्षपाद दर्शन या नैयायिकदर्शनम्
- १२. जैमिनीय दर्शन
- १३. पाणिनीय दर्शन
- १४. सांख्य दर्शन
- १५. पातंजल या योगदर्शन
- १६. वेदान्त दर्शन
ध्यान देने योग्य है कि सर्वदर्शनसंग्रह में शंकराचार्य के अद्वैत वेदान्त के दर्शन का सोलहवां अध्याय अनुपस्थित है। इसके बारे में इस ग्रन्थ के पन्द्रहवें अध्याय के अन्त में लिखा है - " शंकर का दर्शन, जो इसके बाद के क्रम में आता है और जो सभी दर्शनों का सिरमौर है, की व्याख्या हमने कहीं और की है। इसलिये इसपर यहाँ कुछ नहीं कहा गया है।"
सर्वदर्शनसंग्रह से लोकायत के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। अपने दार्शनिक सिद्धान्त के प्रवर्तन के लिये वे अन्य सिद्धान्तों को एक-एक करके खण्डन करते हैं। इस ग्रन्थ की विशेष बात यह है कि व्याकरण के पाणिनि दर्शन को भी दर्शनों की श्रेणी में सम्मलित किया गया है। इन सब दर्शनों का संकलन करके माधवाचार्य ने अन्त में शंकराचार्य के अद्वैतवाद को सबसे श्रेष्ठ बताया है।
मंगलाचरण के पश्चात ग्रन्थ का आरम्भ कुछ इस प्रकार होता है-
- अथ कथं परमेश्वरस्य निःश्रेयसप्रदत्वमभिधीयते वृहस्पति मतानुसारिणा नास्तिकशिरोमणिना चार्वाकेण दूरोत्सारितत्वात दुरुच्छेदं हि चार्वाकस्य चेष्टितम् । प्रायेण सर्वप्राणिनस्तावत् "यावज्जीवं सुखं जीवेन्नास्ति मृत्योरगोचरः । भस्मीभूतस्य देहस्य पुनरागमनं कुतः” इति ॥५॥
- (अर्थ : परमेश्वर जो मुक्ति देता है यह किस पकार जाना जाता है? बृहस्पतिमतानुसारी नास्तिकशिरोमणि चार्वाक "ईश्वर मुक्ति देता है" इस बात को नहीं मानता। इस चार्वाक मत का खण्डन करना प्रायः असाध्य है। सब कहते हैं कि, जब तक जीवित रहे सुख भोग करे, कोई भी मृत्युके बाहर नही रह सकता, सब किसी को मृत्यु के मुख में गिरना पड़ेगा। एवं मरने पीछे जो सुख होगा; यह सम्भव नही, देह जलने पर किसी प्रकार उस देह का पुनरागमन नहीं हो सकता ॥ ५॥)
सन्दर्भ
[संपादित करें]इन्हें भी देखें
[संपादित करें]- माधवाचार्य विद्यारण्य
- वाचस्पति मिश्र - इन्होने भी लगभग सभी दर्शनों पर अपने भाष्य लिखे हैं।
- विजयनगर साम्राज्य
- सर्वसिद्धान्तसङ्ग्रह (आदि शंकराचार्य द्वारा रचित दर्शन ग्रन्थ)
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- सर्वदर्शनसंग्रहः (संस्कृत विकिस्रोत पर)
- सर्वदर्शनसंग्रहः (देवनागरी में)
- Sarva-darsana-sangraha of Madhavacharya
- The Project Gutenberg EBook of The Sarva-Darsana-Samgraha, by Madhava Acharya
- Vivarana Prameya Sangrah by Vidyaranya Swami (Sanskrit Text with Hindi Translation) at archive.org
- Sarvadarshansangraha by Madhavacharya (Vidyaranya Swami) - tr by E.B.Cowell (1882) at archive.org
- सर्वदर्शनसंग्रहः[मृत कड़ियाँ](उदयनारायण सिंह द्वारा कृत हिन्दी भाषा टीका सहित)
- हिन्दी सर्वदर्शनसंग्रह (उमाशंकर शर्मा द्वारा हिन्दी अनुवाद एवं व्याख्या सहित)