जौनपुर सल्तनत
जौनपुर सल्तनत (शर्क़ी वंश) سلطنت جونپور | |||||||||||
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१३९४–१४९३ | |||||||||||
जौनपुर सल्तनत ("शर्की" वंश) का क्षेत्र लगभग १४७५ के आस-पास, पड़ोसी राज्यों के साथ।[1] कुछ वर्षों बाद, १४७९ ई. के आस-पास, जौनपुर सल्तनत का कुछ हिस्सा दिल्ली सल्तनत के लोदी वंश ने अपने अंग में समाहित किया। १४९३ ई. में जौनपुर सल्तनत का अधिकांश हिस्सा बंगाल सल्तनत द्वारा समाहित किया गया। | |||||||||||
राजधानी | जौनपुर | ||||||||||
प्रचलित भाषाएँ | फ़ारसी (आधिकारिक) उर्दू (सामान्य) अरबी (धार्मिक) | ||||||||||
धर्म | सुन्नी इस्लाम | ||||||||||
सरकार | सल्तनत-राजतंत्र | ||||||||||
सुल्तान | |||||||||||
• १३९४-१३९९ | मालिक सरवर (प्रथम) | ||||||||||
• १४५८-१४९३ | हुस्सैन खान (अंतिम) | ||||||||||
इतिहास | |||||||||||
• स्थापित | १३९४ | ||||||||||
• अंत | १४९३ | ||||||||||
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अब जिस देश का हिस्सा है | भारत |
जौनपुर सल्तनत (फ़ारसी: [سلطنت جونپور] Error: {{Lang}}: text has italic markup (help)) १३९४ और १४९४ के बीच उत्तरी भारत में एक मुस्लिम साम्राज्य था, [2] जिस पर शर्की वंश का शासन था। इसकी स्थापना १३९४ में दिल्ली सल्तनत के तुग़लक़ राजवंश के विघटन के बीच, एक किन्नर गुलाम और सुल्तान नसीरुद्दीन मुहम्मद शाह चतुर्थ तुगलक के पूर्व वजीर ख्वाजा-ए-जहाँ मलिक सरवर ने की थी। जौनपुर में केन्द्रित सल्तनत ने अवध और गंगा-यमुना दोआब के एक बड़े हिस्से पर अधिकार बढ़ाया। यह सुल्तान इब्राहिम शाह के शासन में अपनी सबसे बड़ी ऊंचाई पर पहुंच गया, जिसने सल्तनत में इस्लामी शिक्षा के विकास में भी बड़ा योगदान दिया। १४७९ में, सुल्तान हुसैन खान को दिल्ली सल्तनत के लोदी वंश के सुल्तान, अफगान शासक बाहुल लोदी की सेना ने हरा दिया, जिससे स्वतंत्र जौनपुर का अचानक अंत हो गया और उसका दिल्ली सल्तनत में पुनः विलय हो गया।
- ↑ Schwartzberg, Joseph E. (1978). A Historical atlas of South Asia. Chicago: University of Chicago Press. पृ॰ 148, map XIV.4 (c). आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0226742210.
- ↑ For a map of their territory see: Schwartzberg, Joseph E. (1978). A Historical atlas of South Asia. Chicago: University of Chicago Press. पृ॰ 147, map XIV.4 (c). आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0226742210.