चतुर्भुज मंदिर (ओरछा)
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चतुर्भुज मंदिर, ओरछा | |
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Chaturbhuj Temple | |
धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | हिन्दू धर्म |
देवता | विष्णु के राम अवतार |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | ओरछा |
राज्य | मध्य प्रदेश |
देश | भारत |
भौगोलिक निर्देशांक | 25°21′0″N 78°8′24″E / 25.35000°N 78.14000°Eनिर्देशांक: 25°21′0″N 78°8′24″E / 25.35000°N 78.14000°E |
वास्तु विवरण | |
निर्माता | ओरछा राज्य के बुन्देल राजा |
निर्माण पूर्ण | 16वीं शताब्दी |
मंदिर संख्या | 1 |
चतुर्भुज मंदिर (Chaturbhuj Temple) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के ओरछा नगर में एक भगवान विष्णु का मन्दिर है। यह मंदिर जटिल बहुमंजिला संरचना वाला है तथा मंदिर, दुर्ग एवं राजमहल की वास्तुगत विशेषताओं से युक्त है।[1][2]
इतिहास
[संपादित करें]मंदिर का निर्माण मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल के दौरान ओरछा साम्राज्य के बुंदेला राजपूतों द्वारा किया गया था। इसका निर्माण मधुकर शाह द्वारा प्रारम्भ किया गया था और १६ वीं शताब्दी में उनके बेटे वीर सिंह देव द्वारा पूर्ण किया गया। मधुकर शाह ने अपनी पत्नी रानी गणेशकुवंरी के लिए यह मंदिर बनवाया था।
एक स्थानीय किंवदंती के अनुसार, मंदिर का निर्माण रानी के "स्वप्न दर्शन" के बाद किया गया था, जिसमें भगवान राम ने उन्हें अपने लिए एक मंदिर बनाने का निर्देश दिया था; मधुकर शाह जहाँ कृष्ण के भक्त थे, वहीं उनकी पत्नी का समर्पण भगवान राम के प्रति था। चतुर्भुज मंदिर के निर्माण की मंजूरी के बाद, रानी भगवान राम की एक मूर्ति प्राप्त करने के लिए अयोध्या गईं, जिसे उनके नए मंदिर में स्थापित किया जाना था। जब वह श्री राम की मूर्ति के साथ अयोध्या से वापस आईं, तो शुरुआत में उन्होंने मूर्ति को अपने महल में रखा, जिसे रानी महल कहा जाता था, क्योंकि चतुर्भुज मंदिर अभी भी निर्माणाधीन था। हालाँकि, वह इस आदेश से अनभिज्ञ थी कि मंदिर में प्रतिष्ठित की जाने वाली मूर्ति को महल में नहीं रखा जा सकता है। एक बार जब मंदिर का निर्माण पूरा हो गया और भगवान की मूर्ति को चतुर्भुज मंदिर में स्थापना के लिए ले जाना पड़ा, तो इसे महल से हटाया नही जाए सका। इसलिए, चतुर्भुज मंदिर के बजाय, भगवान राम की मूर्ति महल में ही रह गई जबकि चतुर्भुज मंदिर अपने गर्भगृह में बिना मूर्ति के रह गया। चूंकि महल में राम की पूजा की जाती थी, इसलिए इसे राम राजा मंदिर में बदल दिया गया; यह देश का एकमात्र मंदिर है जहां राम को राजा के रूप में पूजा जाता है।
दैनिक आधार पर मंदिर का प्रबंधन राम राजा ट्रस्ट करता है। हालाँकि, मंदिर की संरचना का संरक्षण राज्य पुरातत्व विभाग के नियंत्रण में है।
स्थान
[संपादित करें]यह मंदिर ओरछा शहर में, ओरछा किला परिसर की सीमा के ठीक बाहर, राम राजा मंदिर के दक्षिण में स्थित है। यह बेतवा नदी द्वारा निर्मित एक लघुद्वीप में है। ओरछा तक ग्वालियर हवाई अड्डे से हवाई मार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता है जो ११९ किलोमीटर (७४ मील) दूर है; दिल्ली और भोपाल से ग्वालियर के लिए नियमित उड़ानें संचालित होती हैं। सड़क मार्ग से यहाँ झाँसी-खजुराहो राजमार्ग से (एक मोड़ लेकर) पहुँचा जा सकता है। निकटतम रेलवे-मुख्यालय झाँसी है जो १६ किलोमीटर (९.९ मील) दूर है।[3]
विशेषताएँ
[संपादित करें]ओरछा का चतुर्भुज मंदिर हिन्दू मन्दिर वास्तुकला अनुसार बने सबसे ऊँचे विमानों में से एक है, जिसकी ऊंचाई ३४४ फीट है।[4] चतुर्भुज मंदिर में देवदार के शंकु के आकार के ऊँचे शिखर हैं जो ४.५ मीटर (१५ फीट) ऊँचे मंचाकार संरचना के ऊपर बने हैं। मंदिर की कुल ऊंचाई १०५ मीटर (३४४ फीट) है और इसके लेआउट की तुलना बेसिलिका (अंग्रेजी विकिपीडिया पर बेसिलिका लेख पढ़ें) से की जाती है और इसे विष्णु की चार भुजाओं के समान दर्शाने योजना के अनुसार इसे बनाया गया था। मंदिर का दृश्य भव्य बहुमंजिला महल जैसा है जिसमें मेहराबदार द्वार, एक बहुत बड़ा प्रवेश द्वार, केंद्र में एक बड़ा टॉवर और चहुँओर से किलेबंदी जैसा है। मंदिर के सामने की ओर चढ़ने के लिए ६७ खड़ी और संकीर्ण सीढ़ियाँ है, प्रत्येक लगभग १ मीटर (३ फीट ३ इंच) ऊँचा है, जो एक घुमावदार सीढ़ी बनाती है। आंतरिक भाग में कई हॉल हैं और मंदिर का मुख्य हॉल या मंडप को एक क्रॉस या क्रूसिफ़ॉर्म (अंग्रजी विविकिपीडिया पर विस्तार से पढ़ें) के आकार में बनाया गया है और इसे मारू-गुर्जर वास्तुकला का मिश्रण कहा जाता है, और यह समान लेआउट के वेस्टिबुल (प्रवेश क्षेत्र/लॉबी) के दोनों ओर समकोण पर है।
मंदिर का बाहरी भाग कमल के प्रतीकों से समृद्ध रूप से अलंकृत है। यह इमारत मंदिर और किले की वास्तुकला से ली गई धार्मिक और धर्मनिरपेक्ष शैलियों का मिश्रण प्रदर्शित करती है। मंदिर का मुख पूर्व की ओर है और यह पास के रामराजा मन्दिर की धुरी पर स्थित है, जोकि ओरछा किला परिसर के अंदर स्थित है। हालाँकि, मंदिर के आंतरिक भाग में अधिक अलंकरण नहीं है। केंद्रीय गुंबद की छत, जिसमें कई खोखे हैं, खिले हुए कमलों से आच्छदित है। बाहरी वास्तुशिल्प विशेषताओं में "पंखुड़ियों वाले पत्थर नक्काशी, चित्रित पुष्प और ज्यामितीय डिजाइन, कमल की कली के लटकन कोष्ठक के सहारे बनी कँगनी, रत्न जड़ित पत्थर की करधनी, और आभासी बालकनी के प्रक्षेपण" सम्मिलित हैं।
ऐसा कहा जाता है कि जब मंदिर बनाया गया था, तो उसके टावरों को सोने की परत से ढक दिया गया था, जिसे वर्षों तक चुराया गया।
मंदिर की छत, जहाँ से ओरछा नगर, घुमावदार बेतवा नदी, सावन भादों, रामराजा मन्दिर और कुछ दूरी पर भव्य लक्ष्मी नारायण मंदिर के सुंदर दृश्य देखे जा सकते हैं।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "Inde du Nord: Madhya Pradesh et Chhattisgarh Archived 2019-07-03 at the वेबैक मशीन," Lonely Planet, 2016, ISBN 9782816159172
- ↑ "Tourism in the Economy of Madhya Pradesh," Rajiv Dube, Daya Publishing House, 1987, ISBN 9788170350293
- ↑ "Orchha". Official website of Madhya Pradesh Tourism. मूल से 4 March 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 July 2015.
- ↑ "Chaturbhuj Temple". Times of India Travel. 26 March 2015. अभिगमन तिथि 11 November 2023.