ग्रीष्म ऋतु
ग्रीष्म ऋतु | |
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ग्रीष्म ऋतु, वर्ष की छह ऋतुओं में से एक ऋतु है, जिसमें वातावरण का तापमान प्रायः उच्च रहता है।
साल की अन्य प्रमुख ऋतु हैं - शीत ऋतु, वर्षा ऋतु, वसन्त ऋतु, हेमंत ऋतु, शिशिर ऋतु।
भारत में यह अप्रैल से जुलाई तक होती है।
ज्येष्ठ और आषाढ के महीने ग्रीष्म ऋतु होती है। इन मासों में सूर्य की किरणें इतनी तेज होती हैं कि प्रातःकाल में भी उन्हें सहन करना सरल नहीं होता। सूर्य के पृथ्वी के निकट आ जाने से यह ऋतु उत्पन्न होती है। इस ऋतु में प्रायः भारत के सभी स्थानों का तापमान बढ़ जाता है। सामान्यतः गुजरात और राजस्थान मैं गर्म हवायें चलती है जिन्हें लू कहा जाता है। राजस्थान एक मरुस्थलीय इलाका है जहां तापमान सबसे अधिक होता है। तापमान ५० डिग्री सेल्सियस तक हो जाता है । इस ऋतु में वर्षा भी होती है। इस मौसम में कुछ खरीफ की फसलें बोई जाती है।
गर्मी से हमें लाभ भी बहुत हैं। यदि गर्मी अच्छी पड़ती है तो वर्षा भी खूब होती है। गर्मी के कारण ही अनाज पकता है और खाने योग्य बनता है। ग्रीष्म ऋतु में गर्मी के कारण विषैले कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। इस ऋतु में आम, लीची आदि अनेक रसीले फल भी होते हैं। इनका स्वाद निराला होता है।
भारत में सामान्यतया 15 मार्च से 15 जून तक ग्रीष्म मानी जाती है। इस समय तक सूर्य भूमध्य रेखा से कर्क रेखा की ओर बढ़ता है, जिससे सम्पूर्ण देश में तापमान में वृद्धि होने लगती है। इस समय सूर्य की कर्क रेखा की ओर अग्रसर होने के साथ ही तापमान का अधिकतम बिन्दु भी क्रमशः दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ता जाता है और मई के अन्त में देश के उत्तरी-पश्चिमी भाग में यह 48 सें.गे. तक पहुँच जाता है। इस समय उत्तरी भारत अधिकतम तापमान तथा न्यूनतम वायुदाब के क्षेत्र में परिवर्तित होने लगता है। उत्तर-पश्चिमी भारत में स्थित थार मरुस्थल पर मिलने वाला न्यूनतम वायुदाब क्षेत्र बढ़कर सम्पूर्ण छोटा नागपुर पठार को भी आवृत कर लेता है, जिसके कारण स्थानीय एवं सागरीय आर्द्र हवाओं का परिसंचरण इस ओर प्रारम्भ हो जाता है और स्थानीय प्रबल तूफानों का जन्म होता है। मूसलाधर वर्षा एवं ओलों के गिरने यहाँ तीव्रगति वाले प्रचण्ड तूफान भी बन जाते हैं, जिनका कारण स्थलीय गर्म एवं शुष्क वायु का सागरीय आर्द्र वायु से मिलना है।
उत्तर पश्चिमी भारत के शुष्क भागों में इस समय चलने वाली गर्म एवं शुष्क हवाओं को 'लू' कहा जाता है। राजस्थान, पंजाब, हरियाणा तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रायः शाम के समय धूल भरी आँधियाँ आती है, जिनके कारण दृश्यता तक कम हो जाती है। धूल की प्रकृति एवं रंग के आधार पर इन्हें काली अथवा पीली आँधियां कहा जाता है। सामुद्रिक प्रभाव के कारण दक्षिण भारत में इन गर्म पवनों तथा आँधियों का अभाव पाया जाता है।
ग्रीष्म के फल
ग्रीष्म काल मे जंहा गर्मी बढ़ती वैसे ही उसे दूर करने के फल आने लगते हैं जिनके बीज मगज कहलाते हैं व मस्तिष्क को लाभ करते हैं।
तरबूज खरबूज खीरा ककडी ये ग्रीष्म के प्रभाव को कम करते हैं। फलों में आम होता है जिसकी बादाम नीलम दशहरी केसर तोतापुरी सफेदा चौसा अल्फांसो व अनेक कई प्रकार की किस्मे होती है। गर्मी में वैशाख मास को पवित्र मान स्नान का महत्त्व है ।
स्वास्थ्य सुरक्षा
[संपादित करें]ग्रीष्म ऋतु में जलन, गर्मी, चक्कर आना, अपच, दस्त, नेत्रविकार ( आंख आना ) आदि समस्याएंं अधिक होती हैं।अत: गर्मियों में घर में बाहर निकलते समय लू से बचने के लिए सिर पर कपड़ा बांधे अथवा टोपी पहने तथा एक गिलास पानी पीकर निकलें। जिन्हें दोपहिया वाहन पर बहुत लंबी यात्रा करनी हो वे जेब में एक प्याज रख सकते हैं।
उष्ण से ठंडे वातावरण में आने पर 10 – 15 मिनट तक पानी न पियें | धूप में से आने पर तुंरत पूरे कपड़े न निकालें, कूलर आदि के सामने भी न बैठें। रात को पंखे, एयर – कंडिशनर अथवा कूलर की हवा में सोने की अपेक्षा हो सके तो छत पर अथवा खुले आंगन में सोएं। यह संभभव न हो तो पंखे, कूलर आदि की सीधी हवा न लगे इसका ध्यान रखें।[1]
अपने आहार में उच्च जल सामग्री वाले फलों और सब्जियों को शामिल करें। तरबूज, खीरा, संतरा और स्ट्रॉबेरी उत्कृष्ट विकल्प हैं। निर्जलीकरण करने वाले पेय पदार्थों से बचें | शराब, कैफीन और शर्करा युक्त पेय पदार्थों का सेवन सीमित करें, क्योंकि ये आपको और अधिक निर्जलित कर सकते हैं। आइसक्रीम और मीठे पेय पदार्थों का सेवन करना आकर्षक है, लेकिन अपने सेवन को सीमित करने का प्रयास करें। अत्यधिक चीनी ऊर्जा की हानि का कारण बन सकती है और निर्जलीकरण में योगदान कर सकती है।[2]
भारत में ग्रीष्म ऋतु
[संपादित करें]भारत में गर्मी अप्रैल से जून या जुलाई तक रहती है और यह गर्म, उष्णकटिबंधीय जलवायु के लिए प्रसिद्ध मौसम है। भारत में भौगोलिक विविधताएँ हैं इस कारण कुछ क्षेत्रों में गर्मियों में आरामदायक ठंडा मौसम होता है। हरे-भरे जंगलों, ठंडे समुद्र तटों और बर्फ से ढकी चोटियों वाले हरे-भरे पहाड़ गर्मी की लहरों से राहत देते हैं और भारत में गर्मियों के दौरान छुट्टियों के लिए पसंदीदा स्थान हैं।[3]