रोटी
संज्ञा
गेहूँ आदि से बना एक प्रकार का भोजन
उच्चारण
(file) |
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
रोटी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. गुँधे हुए आटे की आँच पर सेंकी हुई लोई या टिकिया जो नित्य के खाने के काम में आती है । चपाती । फुलका । क्रि॰ प्र॰—पकाना ।—बनाना ।—सेंकना । मुहा॰—रोटी पोना =(१) रोटी पकानी । (२) चकले पर बेलकर गुँधे हुए आटे की पतली टिकिया बनाना ।
२. भोजन । रसोई । खाना । जैसे,—तुम्हारे या कब रोटी तैयार होती है । यौ॰—रोटी दाल । मुहा॰—रोटी कपड़ा =भोजन वस्त्र । खाना कपड़ा । जीवन- निर्वाह की सामग्री । जैसे,—उस औरत ने रोटी कपड़े का दावा किया है । रोटी कमाना =जीविका उपार्जन करना । रोटी को रोना =भुखों मरना । अन्नकषअट भोगना । किसी बात की रोटी खाना =किसी बात से जीविका कमाना । जैसे,— वह इसी की तो रोटी खाता है । रोटियों का मारा =भुखा । अन्न बिना दुखी । किसी के यहाँ रोटियाँ तोड़ना =किसी के घर पड़ा रहकर पेट पालना । बैठे बैठे किसी का दिया खाना । किसी को रोटियाँ लगना =किसी को खाना पूरा मिलने से मोटाई सुझना । भरपेट भोजन पाने से मोटाई सुझना । भरपेट भोजन पाने से इतराना । दाल रोटी से खुश =जिसे खाने पीने का अच्छा सुबीता हो । रोटी दाल चलना =जीवन निर्वाह होना । रोटी का पेट =रोटी का वह पार्श्व या तल जो पहले गरम तावे पर डाला जाता है । रोटी की पीठ =रोटी का वह पार्श्व जो उलटन पर सेंका जाता है ।