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भाई

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संज्ञा

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

भाई संज्ञा पुं॰ [सं॰ भ्रातृ]

१. किसी व्यक्ति के माता पिता से उत्पन्न दूसरा पुरुष । किसी के माता पिता का दूसरा पुत्र । बहन का उलटा । बधु । सहोदर । भ्राता । भैया ।

२. किसी वंश या परिवार की किसी एक पीढ़ी के किसी व्यक्ति के लिये उसी पीढ़ी का दूसरा पुरुष । जैसे, चाचा का लड़का = चचेरा भाई; फूफों का लड़का = फुफेरा भाई; मामा का लड़का= ममेरा भाई ।

३. अपनी जाति या समाज का कोई व्यक्ति । बिरादरी । यो॰—भाई बिरादरी ।

४. बराबर वालों के लिये एक प्रकार का संबोधन । जैसे,— भाई पहले यहाँ बैठकर सब बातें सोच लो । उ॰— बर अनुहार बरात न भाई । हँसी करइहउ पर पुर जाई ।—तुलसी (शब्द॰) । मुहा॰—भाइयों को मूछें डखाड़मा = अपनों को अपमानित करना । उ॰— जिनको बीर होने का दावा है, वे भाइयों की मूछे उखाड़कर मूँछे मरोड़ रहे हैं ।— चुभते॰, पृ॰ ३ ।

भाई बिरादरी संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ भाई + बिरादरी] जाति या समाज के लोग ।

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