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स्वर्ण होड़

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स्वर्ण होड़ या स्वर्ण दौड़ उस समय को कहते है जब किसी स्थान पर सोने की खोज के बाद उस स्थान पर बड़ी संख्या में लोग और कर्मी पहुँचने लगते हैं। १९वीं सदी के दौरान ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, दक्षिण अफ़्रीका और संयुक्त राज्य अमेरिका में इस प्रकार की स्वर्ण होड़ लगी थी, जबकि अन्य स्थानों पर कुछ छोटी स्वर्ण होड़ हुई थी।

बहुत से स्वर्ण होड़ बाले नगर रातों-रात बढ़ते हैं और तेज़ी से फैलते हैं और अंततः छोड़ दिए जाते हैं।

स्वर्ण होड़ के साथ आमतौर पर "सभी के लिए मुक्त" आय की गतिशीलता जैसी भावना जुड़ी होती है, जिसमें कोई भी व्यक्ति प्रचुर रूप से क्षणभर में धनी हो सकता है। एतिहासिक रूप से स्वर्ण होड़ का वही अर्थ है जो इस पद (पारिभाषिक शब्द) का है लेकिन आज के समय में यह पद किसी भी उस पूँजीवादी गतिविधि को दर्शाने के लिए होता है जिसमें प्रतिभागी किसी प्रत्यक्ष स्पष्ट रूप से लाभप्रद बाज़ार के लिए होड़ करते हैं।

स्वर्ण होड़ो ने नए क्षेत्रों में बाहर से आए लोगों के अवस्थापन में बहुत सहायक भूमिका निभाई और उत्तर अमेरिकी और ऑस्ट्रेलियाई संस्कृतियों को बहुत सीमा तक परिभाषित किया। ऐसे समय में, जब की मुद्रा सोने पर आधारित थी, रोमन साम्राज्य में नए-नए खननित सोने ने स्वर्ण खादानों से कहीं अधिक दूर तक आर्थिक सहायता प्रदान की।

सामुदायिक और लघु खनन (कैस्म) के अनुसार वर्तमान में विश्वभर में लगभग १.३ करोड़ से ३ करोड़ तक लघु खननकर्ता हैं। लगभग १० करोड़ लोग परोक्ष या अपरोक्ष रूप से लघु खनन पर आश्रित हैं। कांगो लोकतान्त्रिक गणराज्य में ८ से १५ लाख तक दस्तकार खननक हैं, सिएरा लियोन में ३.५ से ६.५ लाख और घाना में १.५ से २.५ लाख तक दस्तकार खननक हैं। इसके अतिरिक्त शेष अफ़्रीका में भी दसियों लाख खननक हैं।[1]

सन्दर्भ

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  1. बढ़ते दामों के कारण आधुनिक, अवैध स्वर्ण होड़ इन्टर्नैश्नल हैराल्ड ट्रिब्यून, १४ जुलाई २००८ (अंग्रेज़ी)

बाहरी कड़ियाँ

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