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विपश्यना

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विपश्यना (संस्कृत) या विपस्सना (पालि) डा0 श्री प्रकाश बरनवाल राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रबुद्ध सोसाइटी का कहना है कि विपासना गौतम बुद्ध द्वारा बताई गई एक ध्यान साधना हैं। विपश्यना का अर्थ है - विशेष प्रकार से देखना (वि + पश्य + ना)।

श्वासप्रश्वासयोर्योगं, वेदनानां निरीक्षणम्।

समताभावनं यत्र, विपश्यना स धर्मिका॥

(श्वास-प्रश्वास के योग, वेदनाओं के निरीक्षण और समता की भावना का अभ्यास जहाँ होता है, वह विपश्यना ध्यान है, जो धर्म का मार्ग है।)

योग साधना के तीन मार्ग प्रचलित हैं - विपश्यना, भावातीत ध्यान और हठयोग

भगवान बुद्ध ने ध्यान की 'विपश्यना-साधना' द्वारा बुद्धत्व प्राप्त किया था। महात्मा बुद्ध की शिक्षाओं में से एक विपश्यना भी है। यह वास्तव में सत्य की उपासना है। सत्य में जीने का अभ्यास है। विपश्यना इसी क्षण में यानी तत्काल में जीने की कला है। भूत की चिंताएं और भविष्य की आशंकाओं में जीने की जगह भगवान बुद्ध ने अपने शिष्यों को आज के बारे में सोचने केलिए कहा। विपश्यना सम्यक् ज्ञान है। जो जैसा है, उसे ठीक वैसा ही देख-समझकर जो आचरण होगा, वही सही और कल्याणकारी सम्यक आचरण होगा। विपश्यना जीवन की सच्चाई से भागने की शिक्षा नहीं देता है, बल्कि यह जीवन की सच्चाई को उसके वास्तविक रूप में स्वीकारने की प्रेरणा देता है।

यह विद्या भारत की बहुत प्राचीन विद्या मानी गयी हैं और यह भारत मैं २५०० साल पहले से विद्यमान थी।   यह विद्या १० दिन के पादयक्रम से शुरू होती हैं और कई केन्द्रो में सिखाई जाती है।


गुरु शिष्य परम्परा

यह  विद्या प्राचीन दिनों से गुरु द्वारा ही  शिष्यों को दी जाती थी।  बुद्ध के समय से, विपश्यना को आज तक, शिक्षकों की एक अटूट श्रृंखला द्वारा   सबको सिखाया जाता रहा हैं  इस परंपरा में वर्तमान शिक्षकों की नियुक्ति स्वर्गीय श्री एस.एन. गोयनका [1], जो मूल रूप से भारतीय थे, लेकिन बर्मा (म्यांमार) में पैदा हुए और पले-बढ़े। वहाँ रहते हुए, उन्हें अपने शिक्षक सयाजी उ बा खिन[2] से विपश्यना सीखने का सौभाग्य मिला, जो उस समय एक उच्च सरकारी अधिकारी थे। चौदह वर्षों तक अपने शिक्षक से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद, श्री गोयनका भारत में बस गए और 1969 में सयाजी द्वारा विपश्यना सिखाना शुरू करने के लिए अधिकृत हुए। अपने जीवन के दौरान उन्होंने पूर्व और पश्चिम दोनों में सभी जातियों और सभी धर्मों के हजारों लोगों को शिक्षा दी। 1982 में उन्होंने विपश्यना पाठ्यक्रमों की बढ़ती मांग को पूरा करने में मदद करने के लिए सहायक शिक्षकों की नियुक्ति शुरू की। 2013 में उनका निधन होने से पहले, उन्होंने परंपरा में भविष्य के शिक्षकों के प्रशिक्षण और नियुक्ति के लिए एक व्यापक प्रणाली को पीछे छोड़ दिया जो आज भी चल रहा हैं।


स्थानों अवं पाठ्यक्रम

कई ध्यान केंद्रों और गैर-केंद्र पाठ्यक्रम स्थलों  पर यह पाठ्यक्रम दिए जाते हैं। प्रत्येक स्थान का पाठ्यक्रमों का अपने नियम  होते है। ज्यादातर मामलों में, इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आवेदन इन ध्यानकेन्द्रो के वेबसाइट पर पूरा किया जा सकता है। भारत में और एशिया/प्रशांत में कहीं और, उत्तरी अमेरिका में, लैटिन अमेरिका में, यूरोप में, ऑस्ट्रेलिया/न्यूजीलैंड में, मध्य पूर्व और अफ्रीका में दुनिया भर में कई विपश्यना केंद्र हैं[3]। केंद्रों के बाहर कई स्थानों पर दस दिवसीय गैर-केंद्रीय पाठ्यक्रम अक्सर आयोजित किए जाते हैं क्योंकि उन क्षेत्रों में विपश्यना के स्थानीय छात्रों द्वारा उनकी व्यवस्था की जाती है। इस विद्या को सिखने के लिए किसी भी तरह का कोई शुल्क नहीं लिया जाता है और रहने खाने की वयस्था केवल पुराने विद्यार्थी के दिए गए दान  से चलती है। व्यापार करने वालो के लिए अलग से एक और तरह का पाठ्यक्रम  भी चलता है । [4]

बाहरी कड़ियाँ

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  1. "Vipassana Meditation". www.dhamma.org. अभिगमन तिथि 2023-05-23.
  2. "सयाग्यी उ बा खिन", विकिपीडिया, 2021-06-19, अभिगमन तिथि 2023-05-23
  3. "Vipassana Meditation". www.dhamma.org. अभिगमन तिथि 2023-05-23.
  4. "Vipassana Meditation Course For Business Executives – Dhamma.org" (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-05-23.