सामग्री पर जाएँ

जोहान् हाइनरिख पेस्तालॉत्सी

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
जोहान् हाइनरिख पेस्तालॉत्सी
Johann Heinrich Pestalozzi
व्यक्तिगत जानकारी
जन्म12 जनवरी 1746
जुरिक, स्विटजरलैण्ड
मृत्युफ़रवरी 17, 1827(1827-02-17) (उम्र 81 वर्ष)
Brugg, Switzerland
वृत्तिक जानकारी
युग१९वीं शताब्दी का दर्शन
क्षेत्रपाश्चात्य दर्शन
विचार सम्प्रदाय (स्कूल)German Romanticism
प्रमुख विचारFour-sphere concept of life

जोहान् हाइनरिख पेस्तालॉत्सी (Johann Heinrich Pestalozzi ; 1746-1827 ई.) प्रसिद्ध पाश्चात्य शिक्षाशास्त्री थे।

बचपन में पिता चल बसे अतः माता ने इन्हें पाला। इनके दादा का भी इनके मन पर बहुत प्रभाव पड़ा। रूसो के विचारों में कुछ संशोधन कर इन्होंने उन्हें कार्यरूप में परिणत करने के प्रयास किए। विद्यार्थीजीवन में ही समाजसेवा की ओर झुकाव हो गया था। पत्रिकाओं में लेख लिखते थे। आगे चलकर इन्हें पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया। 1781 और 1787 के बीच इनकी "लियोनार्ड ऐंड गर्ट्रूड" ( Leonard and Gertrude ) शीर्षक पुस्तक चार खंडों में प्रकाशित हुई। 1792 में जर्मनी के गेटे, फिक्टे इत्यादि विद्वानों से उन्हीं के देश में जाकर ये मिले। सौ एकड़ भूमि मोल लेकर अपने नवीन कृषिक्षेत्र (Neuhof) में इन्होंने कुछ बच्चों को उद्योग के साथ साथ शिक्षा देने का असफल प्रयास किया था। 1799 के पूर्वाध में स्टैज में इन्हें कुछ अनाथ बच्चों को शिक्षा देने का अवसर मिला। उसी वर्ष के अंत में बर्गडॉर्फ के दुर्ग में इनका विद्यालय स्थापित हुआ। इन्हें अच्छे अध्यापकों का सहयोग प्राप्त हुआ। 1801 में इनकी "हाइ गर्ट्रूड टीचेज़ हर चिल्ड्रैन" शीर्षक पुस्तक प्रकाशित हुई। प्रारंभिक शिक्षा संबंधी कुछ अन्य पुस्तकें भी लिखी गर्इं। 1804 में इन्हें बर्गडॉर्फ का दुर्ग सैनिकों के लिए खाली कर देना पड़ा। 1805 से 1825 तक इनका विद्यालय इवर्डन में चलता रहा। अर्थाभाव के कारण इनकी योजनाओं में बाधा पड़ जाती थी।

पेस्तालॉत्सी ने व्यक्ति की समस्त शक्तियों के सामंजस्यपूर्ण विकास को शिक्षा का उद्देश्य माना। उन्होंने मनोविज्ञान को शिक्षा का आधार बनाने के प्रयास किए। आधुनिक शिक्षण के कई प्रमुख सिद्धांतों को पेसलॉत्सी के शैक्षिक प्रयोगों द्वारा महत्व प्राप्त हुआ। शिक्षणविधि में संप्रेक्षण एवं स्वानुभव को इन्होंने मुख्य स्थान दिया। बाद में आनेवाले शिक्षाशास्त्रियों तथा अध्यापकों पर इनके विचारों का प्रचुर प्रभाव पड़ा।

सन्दर्भ

[संपादित करें]
  1. Barnard & Pestalozzi 1859, पृ॰ 49.
  2. Isaacson 2007, पृ॰ 65.