पाकिस्तान दण्ड संहिता
पाकिस्तान दण्ड संहिता | |
सृजन | 1860 (भारतीय दण्ड संहिता के रूप में रचा गया था।) |
लेखक | थॉमस बैबिंगटन मैकाले |
उद्देश्य | अपराधों तथा उनके दण्ड के प्रावधान |
पाकिस्तान दण्ड संहिता (उर्दू : تعزیرات پاکستان مجموعہ , देवनागरीकृत : मज्मूआ़-ए-ताआ़जीरात-ए-पाकिस्तान ), पाकिस्तान के अन्दर पाकिस्तान के किसी भी नागरिक द्वारा किये गये लगभग अपराधों की परिभाषा व दण्ड का प्रावधान करती है। 1947 में पाकिस्तान के निर्माण के पश्चात् पाकिस्तान को एक ही दण्ड संहिता विरासत में मिली और बाद में विभिन्न सरकारों द्वारा कई संशोधनों के पश्चात् पाकिस्तान में अब यह इस्लामी और अँग्रेजी विधानों का मिश्रण है। वर्तमान में, पाकिस्तान दण्ड संहिता अभी भी प्रभावी है और इसे पाकिस्तान की संसद् द्वारा संशोधित किया जा सकता है।
इतिहास
[संपादित करें]पाकिस्तान दण्ड संहिता को थोड़े-बहुत संशोधनों के साथ भारतीय दण्ड संहिता से लिया गया है। भारतीय दण्ड संहिता का प्रारूप प्रथम विधि आयोग द्वारा तैयार किया गया था और इसकी अध्यक्षता लॉर्ड मैकाले ने की थी। इसका आधार इंग्लैंड का विधान था जो अनावश्यक, प्राविधिकताओं और स्थानीय विशिष्टताओं से मुक्त था। कुछ चीजें फ्रांसीसी दण्ड संहिता और लुइसियाना के लिविंगस्टोन संहिता से भी लिये गये थे। सर बार्न्स पीकॉक, मुख्य न्यायाधीश और कलकत्ता उच्चतम न्यायालय के उप-न्यायाधीशों, जो विधान परिषद के सदस्य थे, के हाथों इस प्रारूप में बहुत सावधानी से संशोधन किया गया था, और इसे 1860 में पारित किया गया था।
अधिकार-क्षेत्र
[संपादित करें]अध्याय 1
1) संहिता का नाम और उसके प्रवर्तन का विस्तार -
- यह अधिनियम पाकिस्तान दण्ड संहिता कहलायेगा, और इसका विस्तार सम्पूर्ण पाकिस्तान पर होगा।
2) पाकिस्तान के भीतर किये गये अपराधों का दण्ड -
- हर व्यक्ति इस संहिता के उपबन्धों के प्रतिकूल हर कार्य या लोप के लिए जिसका वह पाकिस्तान के भीतर दोषी होगा, इसी संहिता के अधीन दण्डनीय होगा अन्यथा नहीं।
3) पाकिस्तान से परे किए गए किन्तु उसके भीतर विधि के अनुसार विचारणीय अपराधों का दण्ड -
- पाकिस्तान से परे किए गए अपराध के लिए जो कोई व्यक्ति किसी पाकिस्तानी विधि के अनुसार विचारण का पात्र हो, पाकिस्तान से परे किए गए किसी कार्य के लिए उससे इस संहिता के उपबन्धों के अनुसार ऐसा बरता जाएगा, मानो वह कार्य पाकिस्तान के भीतर किया गया था।
4) राज्यक्षेत्रातीत अपराधों पर संहिता का विस्तार — इस संहिता के उपबन्ध -
- 1) पाकिस्तान से बाहर और परे किसी स्थान में पाकिस्तान के किसी नागरिक अथवा पाकिस्तान की सेवा नियुक्त व्यक्ति द्वारा ;
- 2) पाकिस्तान में पञ्जीकृत किसी पोत या विमान पर, चाहे वह कहीं भी हो किसी व्यक्ति द्वारा, किए गए किसी अपराध पर भी लागू है।
स्पष्टीकरण – इस धारा में अपराध शब्द के अन्तर्गत पाकिस्तान से बाहर किया गया ऐसा हर कार्य आता है, जो यदि पाकिस्तान में किया गया होता तो इस संहिता के अधीन दण्डनीय होता।
दण्ड
[संपादित करें]अध्याय 3
53) दण्ड - अपराधी इस संहिता के उपबन्धों के अधीन जिन दण्डों से दण्डनीय हैं। वे ये हैं —
पहला — किसास ( अरबी : قِصَاص ; देवनागरीकृत : क़िस़ास ) ( प्रतिदण्ड , retribution )
दूसरा — दियात (अरबी : ديات ; देवनागरीकृत : दियात )
तीसरा — Arsh ( पूर्व निर्धारित प्रतिकर (मुआवजा) )
चौथा — Daman
पाँचवाँ — ताज़ीर (अरबी : تعزير ; देवनागरीकृत : तअ़ज़ीर )
छठवाँ — मृत्यु
सातवाँ — आजीवन कारावास
आठवाँ — कारावास, जो दो भाँति का है, अर्थात् -
- 1) कठिन, अर्थात् कठोर परिश्रम के साथ ;
- 2) सादा
नौंवाँ — सम्पत्ति का समपहरण
दसवाँ — अर्थदण्ड
पहले पाँच दण्डों को संशोधनों द्वारा जोड़ा गया है और इन्हें इस्लामी दण्ड माना जाता है। अब तक बहुत कम लोगों को ये दण्ड दिये गये हैं। जिस किसी को भी पहले पाँच दंडों में से दण्ड सुनाया गया है, वह सन्धानीय शरीयत न्यायालय (Federal Shariat Court) में अपील कर सकता है।