अलेक्ज़ंडर पोप
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अलेक्जंडर पोप (Alexander Pope ; 21 मई 1688 – 30 मई 1744) आंग्ल कवि थे। वे अपने व्यंगात्मक काव्य तथा होमर की कृतियों के अनुवाद के लिये प्रसिद्ध हैं। 'ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ऑफ कोटेशन्स' में विलियम शेक्सपीयर और टेन्नीसन के बाद तीसरे सर्वाधिक उद्धृत लेखक हैं।[1]
परिचय
अलेक्जैण्डर पोप का जन्म लंदन में 21 मई 1688 को हुआ। उनके पिता धनी वस्त्रविक्रेता थे जो रोमन कैथेलिक पंथी बन गए थे। पढ़ने के लिये अत्यधिक परिश्रम करने के फलस्वरूप पोप का शरीर रुग्ण तथा कुरूप हो गया था और इस शारीरिक दोष की संवेदना उनको लगातार चिंतित रखती थी। उनकी शिक्षा भी क्रमरहित तथा अपूर्ण थी। इसपर भी 12 वर्ष की अवस्था में उन्होंने 'ओड ऑन सॉलिट्यूड' (एकांतगान) शीर्षक कविता लिखी और 14वें वर्ष में उनकी अद्भुत तथा परिपक्व कविता 'साइलेंस' (मौन) प्रसिद्ध हुई। उनकी प्रकृति विषयक कविताओं में 'पैस्टोरल्स' की, जो 1709 में प्रसिद्ध हुई, तत्कालीन सभी मुख्य मुख्य आलोचकों ने मुक्त कंठ से प्रशंसाकी है। उनका 'एसे ऑन क्रिटिसिज़म' (आलोचना पर निबंध) 1711 में प्रकाशित हुआ और इसी के कारण वे तत्कालीन लेखकों में प्रथम श्रेणी के लेखक माने जाने लगा। 'विंडसर फॉरेस्ट' नामक लोक प्रसिद्ध कविता (1713) अनेक प्रशंसनीय, यथार्थ तथा सुंदर वर्णनों से परिपूर्ण है। इसी के बाद (1714) उनका हास्यरसात्मक महाकाव्य 'रेप ऑव दि लॉक' (केशापहरण) प्रसिद्ध हुआ जिससे उनकी अद्भुत कल्पनाशक्ति तथा कोमल भावविकास की ख्याति स्थिरतर हो गई। 1713 से 1720 तक उन्होंने होमर के 'ईलिअड' का अंग्रेजी अनुवाद प्रसिद्ध किया। यद्यपि यह अनुवाद मूल महाकाव्य का पूर्ण रूप से प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता तथापि ओज तथा रचनामाधुर्य से वह परिपूर्ण है। पोप ने साहित्यकारों में सर्वश्रेष्ठ पद प्राप्त कर लिया परंतु ईर्ष्यामूलक राजनीतिक मतभेदों के कारण एडिसन (Joseph Addison) तथा उनके अनुयायियों के वे विरोधी बन गए। 1717 में उनकी 'एलोइसा टू अबेलाई' तथा 'ऐनएलेजी टु दि मेमरी ऑव एकन अनफार्च्यूनेट लेडी' (एक दुर्दैवपीड़ित अबला का शोकगीत) ये दोनों भावपूर्ण कविताएँ प्रसिद्ध हुईं। इन दो कविताओं के साथ ही उनकी 'ओड ऑन सेंट सेलिसियाज डे' नामक खंडकाव्य प्रसिद्ध हुआ। खंडकाव्य लिखने का पोप का यह मुख्य प्रयत्न था और इसके अध्ययन से यह स्पष्ट हो गया कि इस प्रकार के काव्य के लिये जिन भावों की तथा छंदों की आवश्यकता होती है वे सब उनकी शक्ति के बाहर थे।
1718 में पोप ने 'ट्विकेन हम' के समीप कुछ जमीन तथा प्रसिद्ध विला खरीद लिया जहाँ वे जीवन के अंत तक रहते रहे। 1725-26 में उन्होंने होमर के 'ओडिसे' का अनुवाद किया। परंतु यह अनुवाद अपरिपक्व सहकारियों की सहायता से पूर्ण किए जाने के कारण उतना सफल नहीं हुआ जितना ईलियड का अनुवाद हुआ था। 1727-32 तक पोप तथा 'स्विफ्ट' संयुक्त ग्रंथ कर्तृव्य में एक विविध विषयक कविता संग्रह प्रसिद्ध हुआ। इस संग्रह की तीसरी पुस्तक में कई व्यक्तियों की ओर से पोप की अत्यंत कठोर तथा कटु आलोचना की गई इन आलोचनाओं का उत्तर देने के लिये 'डंसिअड' के तीन भाग प्रकाशित किए गए। इसके बाद 'एसे ऑन मैन' (मनुष्य पर निबंध), 'एस्से ऑन क्रिटिसिज्म', 'इमिटेशंस ऑव होरेस' (होरेस के अनुकरण) ये तीन काव्यग्रंथों की सूची समाप्त होती है। इन तीनों में प्रथम उपदेश संबंधी कविता है जो कि गांभीर्य तथा बुद्धिमत्ता का परिचय देती है। वह बोलिंगबुक के गांभीर्य तथा बुद्धिमत्त का परिचय देती है यद्यपि वह बोलिंगबुक के गांभीर्य शून्य दार्शनिक विचारों के आधार पर लिखी गई हैं। दूसरा बहुत समय तक पोप के सभी काव्यों में लोकप्रिय काव्य रहा। इसमें धन के उपयोग का और स्त्री पुरुषों के स्वभाव का वर्णन किया गया है। यह 1731-35 ई. तक प्रकाशित किया गया था। तीसरा होरेस से लिया गया अनुवादात्मक काव्यसंग्रह है जो पोप को विचार-सूक्ष्मता तथा व्यंग्य शक्ति उत्कृष्ट रूप में प्रदर्शित करता है। 'होरेस के अनुकरण' 1733-39 में प्रसिद्ध हुए। 1742 ई. में उन्होंने 'डंसिअड' का चौथा भाग प्रकाशित किया। उनका देहांत 30 मई 1744 ई. को हुआ वह ट्विकेनहम में दफनाए गए।
गद्यलेखक के रूप में पोप द्वितीय श्रेणी के लेखक समझे जाते हैं। गद्य में स्विफ्ट ग्रे, इत्यादि प्रसिद्ध व्यक्तियों को लिखे हुए इनके पत्र तथा विभिन्न विषयों पर आडंबरपूर्ण लेखों का संग्रह प्रसिद्ध है। ये लेखक सरल तथा स्पष्ट हैं, विशेषत: जब वे स्वानुभवों का वर्णन करते हैं।
पोप इंग्लैंड में आज तक हुए व्यंग्य कवियों में प्रो॰ सेंट्सबेरी के शब्दों में 'काव्य सौंदर्य के विषय में संसार भर में सर्वश्रेष्ठ आचार्यो में एक' थे।
पोप के काव्यों का तथा लेखों का सर्वमान्य संग्रह एलविन और कोर्थप द्वारा तैयार किया गया है जो 1871-89 में प्रकाशित हुआ।
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
- BBC audio file. In Our Time, radio 4 discussion of Pope.
- University of Toronto "Representative Poetry Online" page on Pope
- Pope, slide show
- Pope's Grave
- The Twickenham Museum
- Richmond Libraries' Local Studies Collection. Local History. Accessed 2010-10-19
- Alexander Pope at the National Portrait Gallery
- ↑ Dictionary of Quotations (1999)