भारतीय आम चुनाव, २००९
२००९ के भारतीय आम चुनाव विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में पंद्रहवीं लोकसभा के लिए पांच चरणों में (१६ अप्रैल, २२/२३ अप्रैल, ३० अप्रैल, ७ मई और १३ मई २००९) को संपन्न हुए। १६ मई को मतगणना व चुनाव परिणामों की घोषणा हुई। २००९ में लोकसभा के साथ-साथ आंध्रप्रदेश, उड़ीसा और सिक्किम विधानसभा के लिए भी चुनाव कराए गए। १६ मई को मतगणना हुई। शुरूआती रूझानों में कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने ढाई सौ से भी ज्यादा बढ़त हासिल कर ली जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने अपनी हार मान ली।
भारत के संविधान के अनुसार, सामान्य स्थिति में प्रति पांच वर्ष में लोकसभा चुनाव होता है। १४वें लोकसभा का कार्यकाल १ जून, २००९ को समाप्त हुआ। भारत में चुनाव चुनाव आयोग संपन्न कराता है। चुनाव आयोग के अनुसार, २००९ के लोकसभा चुनाव में ७१ करोड़ ४० लाख लोग मतदान के लिए योग्य हैं। यह संख्या २००४ के लोकसभा की अपेक्षा ४ करोड़ ३० लाख ज्यादा है।
चुनावी कार्यक्रम
मुख्य चुनाव आयुक्त श्री एन गोपालस्वामी ने २ मार्च २००९ को लोकसभा चुनाव का कार्यक्रम घोषित किया। इस बार चुनाव निम्नलिखित पॉँच चरणों में संपन्न होंगे। १६ अप्रैल आंध्र प्रदेश , अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार , जम्मू और कश्मीर , केरला , महाराष्ट्र , मणिपुर , मेघालय , मिजोरम , नागालैंड , उड़ीसा , उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ , झारखण्ड ,अंडमान और निकोबार द्वीप,लक्षद्वीप
अप्रैल २३ - आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, गोवा, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, उड़ीसा, त्रिपुरा , उत्तर प्रदेश, झारखण्ड
अप्रैल ३० - बिहार, गुजरात , जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, सिक्किम , [[उत्तर प्रदेश]], पश्चिम बंगाल , दादरा और नागर हवेली, दमन और दीव
७ मई - बिहार, हरियाणा , जम्मू और कश्मीर, पंजाब , राजस्थान , उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दिल्ली
१३ मई - हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, पंजाब , तमिल नाडू , उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड , चंडीगढ़ , पॉण्डिचेरी
भारत में चुनाव- एक नजर में
मतदाता- ७१ करोड़ ४० लाख मतदान केंद्र- ८,२८,८०४ 2009 का आम चुनाव दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश का अभूतपूर्व कार्य रहा। इस चुनाव में 8.3 लाख मतदान केन्द्र बनाये गये, पुलिसकर्मियों सहित एक करोड़ कर्मचारियों को तैनात किया गया, 46.9 लाख मतदानकर्मियों ने हिस्सा लिया, 71.7 करोड़ से अधिक पंजीकृत निर्वाचकों की सुविधा के लिए 20.9 लाख इलेक्ट्रॉनिक मतदान मशीनों का इस्तेमाल किया गया, 363 राजनीतिक दलों के 8,070 उम्मीदवार चुनाव में खड़े हुए तथा इस पूरी गतिविधि में 846.6 करोड़ रुपये खर्च किये गये।[1]
परिणाम
उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु और राजस्थान में यूपीए ने बेहतर प्रदर्शन किया और यूपीए प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की अगुवाई में सरकार बनाने की स्थिति में आ गई। इस चुनाव में न सिर्फ भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए की हार हुई, बल्कि गैर-कांग्रेसी गैर-भाजपाई सरकार का सपना पालने वाले वाममोर्चे का भी अब तक सबसे खराब प्रदर्शन हुआ। इस चुनाव में तमिलनाडु में जयललिता, आंध्र प्रदेश में महाकुटुमी, केरल और पश्चिम बंगाल में वाममोर्चे की हार, बिहार में लालू और पासवान की करारी हार हुई।
दल | सीट (टें) | मतदान प्रतिशत |
---|---|---|
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस | २०७ | |
भारतीय जनता पार्टी | ११६ | |
समाजवादी पार्टी | २२ | |
बहुजन समाज पार्टी | २१ | |
जनता दल (युनाइटेड) | २० | |
अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस | १९ | |
द्रविड़ मुन्नेत्र कड़ग्म | १८ | |
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) | १६ | |
बीजू जनता दल | १४ | |
शिवसेना | ११ | |
निर्दलीय | ९ | |
नेशनल कांफ्रेंस | ३ | |
राष्ट्रीय लोक दल | ५ | |
नैश्नलिस्ट कांग्रेस पार्टी | ९ | |
अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र कड़ग्म (एआईएडीएमके) | ९ | |
तेलुगू देसम | ६ | |
राष्ट्रीय लोक दल | ५ |
गठबंधन के अनुसार परिणाम
राज्यवार चुनाव परिणाम
२००८ का विश्वास प्रस्ताव
भारत-अमेरिका परमाणु समझौते पर वाममोर्चे द्वारा समर्थन वापस के कारण कांग्रेसनीत यूपीए सरकार को विश्वासमत का सामना करना पड़ा। ५४३ सीटों वाले लोकसभा में स्पष्ट बहुमत के लिए सरकार को २७२ सांसदों की जरूरत होती है। यूपीए सरकार ने २५६ के मुकाबले २७५ वोटों विश्वास मत जीत लिया। यह विश्वासमत कांग्रेस के लिए अहम था और मनमोहन सिंह की सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा किया।
चुनाव क्षेत्र
प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार
संप्रग
राजग
गठबंधन के सहयोगी
संप्रग
घटक
राजग
घटक
अन्य
जनमत सर्वेक्षण
चुनाव पूर्व सर्वेक्षण
चुनाव बाद सर्वेक्षण
चुनावी मुद्दे
बाहरी कड़ियाँ
[http://www.indian-elections.com/index.html इंडियन इलेक्शन (अंग्रेजी में)]
सन्दर्भ
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