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"बृहद्रथ वंश": अवतरणों में अंतर

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'''बृहद्रथ वंश''' [[मगध]] पर शासन करने वाला प्राचीनतम ज्ञात राजवंश है। [[महाभारत]] व पुराणों से ज्ञात होता है कि प्राग्-ऐतिहासिक काल में चेदिराज वसु के पुत्र बृहदर्थ ने गिरिव्रज को राजधानी बनाकर मगध में अपना स्वतन्त्र राज्य स्थापित किया था। दक्षिणी बिहार के गया और पटना जनपदों के स्थान पर तत्कालीन मगध साम्राज्य था । इसके उत्तर में गंगानदी, पश्चिम में सोननदी, पूर्व में चम्पा नदी तथा दक्षिण में विन्ध्याचल पर्वतमाला थी। बृहद्रथ के द्वारा स्थापित राजवंश को बृहद्रथ-वंश कहा गया। इस वंश का सबसे प्रतापी शासक [[जरासंध]] था, जो बृहद्रथ का पुत्र था। जरासंध अत्यन्त पराक्रमी एवं साम्राज्यवादी प्रवृत्ति का शासक था। जरासंध के नाम का जन्मसूत्र भी 'जरा' में छुपा हुआ है। वह जन्म के समय दो टुकड़ों में विभक्त था। जरा नाम की राक्षसी ने उसे जोड़ा था<ref>{{Cite web|title=इस तरह रानियों के गर्भ से शिशु के शरीर का एक-एक टुकड़ा पैदा हुआ|url=https://www.jagran.com/spiritual/religion-story-of-jarasandh-15871132.html|website=[[जागरण]]|access-date=23 जून 2020|archive-url=https://web.archive.org/web/20171007031319/http://www.jagran.com/spiritual/religion-story-of-jarasandh-15871132.html|archive-date=7 अक्तूबर 2017|url-status=live}}</ref><ref>{{Cite web|title = Jarasandha was a very powerful king of Magadha, and the history of his birth and activities is also very interesting - Vaniquotes|url = http://vaniquotes.org/wiki/Jarasandha_was_a_very_powerful_king_of_Magadha,_and_the_history_of_his_birth_and_activities_is_also_very_interesting|website = vaniquotes.org|accessdate = 23 जून 2020|archive-url = https://web.archive.org/web/20181129054415/https://vaniquotes.org/wiki/Jarasandha_was_a_very_powerful_king_of_Magadha,_and_the_history_of_his_birth_and_activities_is_also_very_interesting|archive-date = 29 नवंबर 2018|url-status = live}}</ref> तभी उसका नाम जरासंध पड़ा। महाभारत में जरासंध व भीम के बीच मल्ल युद्ध का प्रमाण मिलता है जिसमे भगवान श्री [[कृष्ण]] की सहायता से [[भीम]] द्वारा जरासंध के शरीर के दो हिस्सों को एक दुसरे के उल्टी दिशा में फेकने से मृत्यु हो जाती है ।<ref>{{Cite web|title=सौ राजाओं की बल‍ि चढ़ाने का प्रण लेने वाले जरासंध का दो टुकड़ों में हुआ था जन्‍म, जान‍िए कैसे हुआ अंत|url=https://www.jansatta.com/religion/mahabharat-jarasandh-vadh-story-jarasandha-who-had-pledged-to-sacrifice-a-hundred-kings-was-born-in-two-pieces-know-his-death-story/1380662/|website=[[जनसत्ता]]|access-date=23 जून 2020|archive-url=https://web.archive.org/web/20200529154349/https://www.jansatta.com/religion/mahabharat-jarasandh-vadh-story-jarasandha-who-had-pledged-to-sacrifice-a-hundred-kings-was-born-in-two-pieces-know-his-death-story/1380662/|archive-date=29 मई 2020|url-status=live}}</ref> उसके मृत्यु के बाद उसका पुत्र सहदेव राजा बनता है ।<ref>{{cite book|title=India through the ages|url=https://archive.org/details/indiathroughages00mada|last=Gopal|first=Madan|year= 1990| page= [https://archive.org/details/indiathroughages00mada/page/80 80]|editor=K.S. Gautam|publisher=Publication Division, Ministry of Information and Broadcasting, Government of India}}</ref>
'''बृहद्रथ वंश''' [[मगध]] पर शासन करने वाला प्राचीनतम ज्ञात राजवंश है। इसी राजवंश का ही परिवर्तित नाम रवानी राजवंश हुआ । [[महाभारत]] व पुराणों से ज्ञात होता है कि प्राग्-ऐतिहासिक काल में चेदिराज वसु के पुत्र बृहदर्थ ने गिरिव्रज को राजधानी बनाकर मगध में अपना स्वतन्त्र राज्य स्थापित किया था। दक्षिणी बिहार के गया और पटना जनपदों के स्थान पर तत्कालीन मगध साम्राज्य था । इसके उत्तर में गंगानदी, पश्चिम में सोननदी, पूर्व में चम्पा नदी तथा दक्षिण में विन्ध्याचल पर्वतमाला थी। बृहद्रथ के द्वारा स्थापित राजवंश को बृहद्रथ-वंश कहा गया। इस वंश का सबसे प्रतापी शासक [[जरासंध]] था, जो बृहद्रथ का पुत्र था। जरासंध अत्यन्त पराक्रमी एवं साम्राज्यवादी प्रवृत्ति का शासक था। जरासंध के नाम का जन्मसूत्र भी 'जरा' में छुपा हुआ है। वह जन्म के समय दो टुकड़ों में विभक्त था। जरा माता ने उन्हे जोड़ा था<ref>{{Cite web|title=इस तरह रानियों के गर्भ से शिशु के शरीर का एक-एक टुकड़ा पैदा हुआ|url=https://www.jagran.com/spiritual/religion-story-of-jarasandh-15871132.html|website=[[जागरण]]|access-date=23 जून 2020|archive-url=https://web.archive.org/web/20171007031319/http://www.jagran.com/spiritual/religion-story-of-jarasandh-15871132.html|archive-date=7 अक्तूबर 2017|url-status=live}}</ref><ref>{{Cite web|title = Jarasandha was a very powerful king of Magadha, and the history of his birth and activities is also very interesting - Vaniquotes|url = http://vaniquotes.org/wiki/Jarasandha_was_a_very_powerful_king_of_Magadha,_and_the_history_of_his_birth_and_activities_is_also_very_interesting|website = vaniquotes.org|accessdate = 23 जून 2020|archive-url = https://web.archive.org/web/20181129054415/https://vaniquotes.org/wiki/Jarasandha_was_a_very_powerful_king_of_Magadha,_and_the_history_of_his_birth_and_activities_is_also_very_interesting|archive-date = 29 नवंबर 2018|url-status = live}}</ref> तभी उसका नाम जरासंध पड़ा। महाभारत में जरासंध व भीम के बीच मल्ल युद्ध का प्रमाण मिलता है जिसमे भगवान श्री [[कृष्ण]] की सहायता से [[भीम]] द्वारा जरासंध के शरीर के दो हिस्सों को एक दुसरे के उल्टी दिशा में फेकने से मृत्यु हो जाती है ।<ref>{{Cite web|title=सौ राजाओं की बल‍ि चढ़ाने का प्रण लेने वाले जरासंध का दो टुकड़ों में हुआ था जन्‍म, जान‍िए कैसे हुआ अंत|url=https://www.jansatta.com/religion/mahabharat-jarasandh-vadh-story-jarasandha-who-had-pledged-to-sacrifice-a-hundred-kings-was-born-in-two-pieces-know-his-death-story/1380662/|website=[[जनसत्ता]]|access-date=23 जून 2020|archive-url=https://web.archive.org/web/20200529154349/https://www.jansatta.com/religion/mahabharat-jarasandh-vadh-story-jarasandha-who-had-pledged-to-sacrifice-a-hundred-kings-was-born-in-two-pieces-know-his-death-story/1380662/|archive-date=29 मई 2020|url-status=live}}</ref> उसके मृत्यु के बाद उसका पुत्र सहदेव राजा बनता है ।<ref>{{cite book|title=India through the ages|url=https://archive.org/details/indiathroughages00mada|last=Gopal|first=Madan|year= 1990| page= [https://archive.org/details/indiathroughages00mada/page/80 80]|editor=K.S. Gautam|publisher=Publication Division, Ministry of Information and Broadcasting, Government of India}}</ref>


[[हरिवंश पुराण]] से ज्ञात होता है कि उसने काशी, कोशल, चेदि, मालवा, विदेह, अंग, वंग, कलिंग, पांडय, सौबिर, मद्र, कश्मीर और गंधार के राजाओं को परास्त किया। इसी कारण पुराणों में जरासंध को महाबाहु, महाबली और देवेन्द्र के समान तेज वाला कहा गया है। बृहद्रथवंश का अन्तिम शासक रिपुंजय था, जिसकी हत्या उसके मन्त्री पुलिक ने कर दी तथा अपने पुत्र बालक को मगध का शासक नियुक्त किया। इस प्रकार बृहद्रथवंश का पतन हो गया। कुछ समय पश्चात् महिय नामक एक सामन्त ने बालक की हत्या करके अपने पुत्र [[बिम्बिसार]] (544-492 ई.पू.) को मगध की राजगद्दी पर बैठाया।
[[हरिवंश पुराण]] से ज्ञात होता है कि उसने काशी, कोशल, चेदि, मालवा, विदेह, अंग, वंग, कलिंग, पांडय, सौबिर, मद्र, कश्मीर और गंधार के राजाओं को परास्त किया। इसी कारण पुराणों में जरासंध को महाबाहु, महाबली और देवेन्द्र के समान तेज वाला कहा गया है। बृहद्रथवंश का अन्तिम शासक रिपुंजय था, जिसकी हत्या उसके मन्त्री पुलिक ने कर दी तथा अपने पुत्र बालक को मगध का शासक नियुक्त किया। इस प्रकार बृहद्रथवंश का पतन हो गया। कुछ समय पश्चात् महिय नामक एक सामन्त ने बालक की हत्या करके अपने पुत्र [[बिम्बिसार]] (544-492 ई.पू.) को मगध की राजगद्दी पर बैठाया। आज जरासंध के वंशज रवानी राजपूत और चंदेल राजपूत हैं।

वास्तविक अर्थों में मगध साम्राज्य का उत्कर्ष बिम्बिसार के समय ही प्रारम्भ हुआ। बिम्बिसार हर्यक-कुल का शासक था। उसने एक ओर वैवाहिक-सम्बन्ध के द्वारा काशी को और दूसरी ओर विजय द्वारा अंग को मगध में विलीन कर, मगध को साम्राज्य निर्माण के पथ पर अग्रसर कर दिया।<ref>{{Cite web|title=बिहार एक संस्कृति परिचय|url=http://ignca.nic.in/coilnet/bihar.htm|website=IGNAC|accessdate=23 June 2020|archive-url=https://web.archive.org/web/20170723190038/http://ignca.nic.in/coilnet/bihar.htm|archive-date=23 जुलाई 2017|url-status=live}}</ref><ref>{{cite book|url=https://books.google.com/books/about/Prachin_Bharat_Ka_Itihas_Ancient_India_H.html?id=L-6hDwAAQBAJ|title=भारत का प्राचीन इतिहास – वी.डी.महाजन -Google Books |accessdate=23 जून 2020|isbn=81-219-0879-5}}</ref><ref>{{cite book|url=https://books.google.com/books/about/The_Purans_volume_02.html?id=iifBDQAAQBAJ|title=Purans Volume-2, from ... –Chandra Shekhar Singh – Google Books |accessdate=23 जून 2020}}</ref>


==संदर्भ==
==संदर्भ==

18:51, 5 जुलाई 2020 का अवतरण

बृहद्रथ वंश मगध पर शासन करने वाला प्राचीनतम ज्ञात राजवंश है। इसी राजवंश का ही परिवर्तित नाम रवानी राजवंश हुआ । महाभारत व पुराणों से ज्ञात होता है कि प्राग्-ऐतिहासिक काल में चेदिराज वसु के पुत्र बृहदर्थ ने गिरिव्रज को राजधानी बनाकर मगध में अपना स्वतन्त्र राज्य स्थापित किया था। दक्षिणी बिहार के गया और पटना जनपदों के स्थान पर तत्कालीन मगध साम्राज्य था । इसके उत्तर में गंगानदी, पश्चिम में सोननदी, पूर्व में चम्पा नदी तथा दक्षिण में विन्ध्याचल पर्वतमाला थी। बृहद्रथ के द्वारा स्थापित राजवंश को बृहद्रथ-वंश कहा गया। इस वंश का सबसे प्रतापी शासक जरासंध था, जो बृहद्रथ का पुत्र था। जरासंध अत्यन्त पराक्रमी एवं साम्राज्यवादी प्रवृत्ति का शासक था। जरासंध के नाम का जन्मसूत्र भी 'जरा' में छुपा हुआ है। वह जन्म के समय दो टुकड़ों में विभक्त था। जरा माता ने उन्हे जोड़ा था[1][2] तभी उसका नाम जरासंध पड़ा। महाभारत में जरासंध व भीम के बीच मल्ल युद्ध का प्रमाण मिलता है जिसमे भगवान श्री कृष्ण की सहायता से भीम द्वारा जरासंध के शरीर के दो हिस्सों को एक दुसरे के उल्टी दिशा में फेकने से मृत्यु हो जाती है ।[3] उसके मृत्यु के बाद उसका पुत्र सहदेव राजा बनता है ।[4]

हरिवंश पुराण से ज्ञात होता है कि उसने काशी, कोशल, चेदि, मालवा, विदेह, अंग, वंग, कलिंग, पांडय, सौबिर, मद्र, कश्मीर और गंधार के राजाओं को परास्त किया। इसी कारण पुराणों में जरासंध को महाबाहु, महाबली और देवेन्द्र के समान तेज वाला कहा गया है। बृहद्रथवंश का अन्तिम शासक रिपुंजय था, जिसकी हत्या उसके मन्त्री पुलिक ने कर दी तथा अपने पुत्र बालक को मगध का शासक नियुक्त किया। इस प्रकार बृहद्रथवंश का पतन हो गया। कुछ समय पश्चात् महिय नामक एक सामन्त ने बालक की हत्या करके अपने पुत्र बिम्बिसार (544-492 ई.पू.) को मगध की राजगद्दी पर बैठाया। आज जरासंध के वंशज रवानी राजपूत और चंदेल राजपूत हैं।

संदर्भ

  1. "इस तरह रानियों के गर्भ से शिशु के शरीर का एक-एक टुकड़ा पैदा हुआ". जागरण. मूल से 7 अक्तूबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 जून 2020.
  2. "Jarasandha was a very powerful king of Magadha, and the history of his birth and activities is also very interesting - Vaniquotes". vaniquotes.org. मूल से 29 नवंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 जून 2020.
  3. "सौ राजाओं की बल‍ि चढ़ाने का प्रण लेने वाले जरासंध का दो टुकड़ों में हुआ था जन्‍म, जान‍िए कैसे हुआ अंत". जनसत्ता. मूल से 29 मई 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 जून 2020.
  4. Gopal, Madan (1990). K.S. Gautam (संपा॰). India through the ages. Publication Division, Ministry of Information and Broadcasting, Government of India. पृ॰ 80.